यादों की बात,घूड़-घूड़ कर देखनी वाली
लेखक- के के झा,( 8375987906)
बुधवार का दिन सब लोग अपनी-अपनी रोजी रोट्टी के जुगार में दफ्तर के चार दीवारी में 8 से 12 घंटा कैद जेल कि तरह रहते हैं |हम भी अपना रोट्टी की जुगार में जब एक साथी के साथ जिंदगी में पहली बार किसी रेस्टोरेंट में जा रहे थे कुछ खाने के लिए मेरे पास इतना पैसा भी नहीं था कि हम कुछ अपने ख्वेश वाले पकवान का इच्छा जता सकते, डर लगता था बड़े आदमी के अड्डों पर छोटे आदमी को नहीं आना चाहिए | क्योंकि यहां पर पहनावे की तड़क से लोगों को जाना जाता हैं अमीर-गरीब की पहचान किया जाता हैं | खैड़ ये सब आज कि दुनिया में आम बात हैं नई बात ये हैं कि चले तो गये लेकिन वहां पर खाने की व्यवस्था भी अलग तरीका से होता हैं. आप खुद को अगर हाथ से ही खाना शुरू कर देगें तो घूर-घूर कर देखने लगेगें |
जब मेरे सामने एक थाली में एक पीस बर्गर,एक कप कॉफी और कुछ पीस आलू चीपस के साथ एक बोतल पानी आया. नाना प्रकार के खान-पान को देखकर जीह से पानी निकलना शुरू हो गया | मेरा साथी टीसू पेपर के साथ ही चमचे से पकड़ कर खा रहा था मैं देखकर सोच में पड़ गया क्या? ऐसे ही मुझे भी खाना पड़ेगा |लेकिन मैं हाथ से खाना शुरू कर दिया मेरे टेबल से बगल वाले टेबल पर एक सुंदर वधु बैठी थी अपने एक लड़की साथी के साथ लेकिन, दिलचस्प की बात ये थी की लड़की बार-बार मेरे तरफ देखी जा रही थी | मैंने सोचा सायद मेरा खाने का तरीका देख रही होगी कुछ देर बाद मुझे प्यास लग गया जिसके बाद मैंने पानी कि मांग कि लेकिन पानी बोतल महंगा होने का कारण खरिदने में दिलचस्पी में नहीं दिखा साथी का, मैं भी मांग नहीं कि पानी का लेकिन उस लड़की के पास पानी बोतल देख मन किया मांग लू लेकिन फिर सोचा अगर बुरा मान गई तो ? लेकिन खुद ही कुछ देर बाद मेरे पास आती हैं पूछने के लिए आपको पानी कि जरूरत हैं मुझे शैम्पू की मेरा तो होश ही हवाश खो गया | फिर व बोलती हैं आप अपने बाल में क्या लगाते हैं. फिर मैंने बोला पूछो मत कुछ न लगाने पर आप 9वी लड़की हो शैम्पू का नाम पूछने वाली, बस कुछ न लगाने से ही ऐसा बाल है|
सोच रहे होगें आप सब आगे बात कहां तक पहुँची तो मैं बता दूं कि एक अंधेरी रात में एक अनसुनी कहानी पढ़ते वक्त बस पढ़ते ही वक्त सच्चा लगता है और आनंद आती हैं| ठीक उसी तरह एक अनजान सी गली में दो मिनट के लिए सपना देख रहा था |
लेखक- के के झा
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