जुबिन बोल नहीं पाते हैं
आज विदिशा के युवा साथियों के साथ जुबिन की आवाज उन कानों तक पहुंचाने की कोशिश की जिन कानों में राजनीति की रुई ठुसी हुई है !
मूक-बधिरों की विभिन्न मांगों को लेकर इंदौर से जन जागरूकता करते हुए मोटरसाइकिल से नई दिल्ली जा रहे मूक बघिर युवा जुबिन परमेश्वरन एवं उनके साथी रंजीत का विदिशा से गुजरते समय युवा साथियों के साथ स्वागत किया उनका हौसला बढ़ाने के लिए बाइक रूप रैली के रूप में कलेक्ट्रेट पहुंचकर ज्ञापन सौंपा एवं जुबिन की प्रेस से वार्ता करवाई।
जुबिन ने बताया कि इस देश के मूक बधिर भारी असमानता के शिकार हैं प्राइवेट सेक्टर में सामान्य व्यक्तियों के समान कार्यकुशलता, समान शारीरिक परिश्रम,समान बौद्धिक क्षमता होने के बावजूद भी मूक-बधिरों को कम वेतन देकर उनका भारी शोषण किया जाता है। जुबिन देवास की कंपनी में नोकरी करते थे जब उन्होंने इस शोषण के ख़िलाफ़ आवाज उठाई तो कंपनी प्रबंधन ने उन्हें नोकरी से निकाल दिया। तब जुबिन ने निर्णय लिया कि वे देश के 3 करोड़ 70 लाख मूक-बघिरों के शोषण के खिलाफ और उनकी विभिन्न मांगों को लेकर प्रधानमंत्री से मुलाकात करेंगे।