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माँ

जब भी ख़ुद को तन्हा पाया,
कड़ी धूप ने मुझे झुलसाया।
दोस्त बनी, हमराज़ बनीं तुम,
और माँ  बन गयी तुम साया।
तुम्हारी मौजूदगी से माँ मैने,
अपने सारे ग़म को हराया।
मिटा के अपने दुख को मैने,
जीत का पर्चम लहराया।
सोना तपकर कुन्दन बनता,
ये भी माँ तुमने सिखलया।
रहा अकेला फिर भी तुमको,
हमेशा अपने साथ ही पाया।
कर्ज़ अदा नही कर सकता तेरा,
फिर भी माँ एक वादा मेरा।
जिन्दगी भर ये कोशिश मेरी,
 कभी न छलके आँखें तेरी।
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