जैसा की फिल्म “पद्मावती” के बारे में अगर बात करें, तो ये फिल्म “महाकाव्य पद्मावत” से ली गयी है, जिसको लिखा था प्रेम रस और भक्ति रस के कवि मलिक मुहम्मद जायसी ने. मलिक मुहम्मद जायसी ने अपनी रचना में रानी पद्मावती की कहानी को बताया है कि कैसे जब वो अपने पिता के पास रहती थी तो वहाँ उनकी एक बोलते वाले सुग्गा (तोता) से काफी मित्रता थी पर जब इनके पिता को पता चला की रानी पद्मावती की मित्रता काफी गहरी है तो उन्होंने उस तोते को मारने का आदेश दे दिया, फिर वो तोता वहाँ से किसी तरह भाग जाता है और पहुच जाता है रत्नसेन के दरबार में.
इसके बाद वो तोता, रत्नसेन से रानी पद्मावती की खूबसूरती का वर्णन करता है, और रत्नसेन, रानी पद्मावती से विवाह करने के लिए अपनी कई रानियों और सेनाओं के साथ निकल पड़ते हैं. वो जाकर एक मंदिर में तपस्या करने लगते हैं काफी दिनों तक तपस्या करने के बाद एक दिन रानी वहाँ आती है पर बिना रत्नसेन से मिले हुए चली जाती हैं. रत्नसेन आत्मदाह करने की कोशिश करते हैं पर वही भगवान शिव और माँ पार्वती उन्हें रोक लेती हैं.
उसके बाद वो अपनी सेना के साथ मिलकर गंधर्वसेन के राज पर हमला करते हैं पर गंधर्वसेन जान जाते हैं और रत्नसेन असफल हो जाते हैं . फिर गंधर्वसेन रानी पद्मावती का विवाह रत्नसेन से करा देते हैं.
जब विवाह हो जाता है उसके बाद रत्नसेन की पत्नी “नागमती” जो इनको काफी प्रिय थी उनका पत्र आता है और ये दोनों रानियों के साथ अपने राज्य में रहने लगते हैं. दोनों ही पत्नी अपने पति से ज्यादा प्यार की अपेक्षा करती हैं और राजा यथासम्भव प्रयास करते हैं.
जैसे कि हर पत्नी अपने पति को खुश करने के लिए उसका प्यार पाने के लिए हर तरह से उसे खुश करना चाहती है. चाहे उसे अपने पति के लिए नृत्य करना पड़े उन्हें अच्छे व्यजन बनाकर देना पड़े या जैसे भी उनके पति खुश हो सके तो ऐसे प्रयास रानी पद्मावती और नागमती करती थी.
लेकिन एक दिन जब रत्नसेन के राजमहल में एक प्रतियोगता के लिए राघव वहाँ आये तो वहाँ पर पद्मावती जी ने उपहार के रूप में राघव को चूड़ियां दी.
उसके बाद जब राघव अलाउद्दीन खिलज़ी के दरबार दिल्ली पहुचे तो वहाँ खिलज़ी उनसे चूड़ियों के बारे में पूछा, तो राघव ने पद्मावती की खूबसूरती का खुबसुरत वर्णन किया. अलाउदीन ने रत्नसेन से रानी पद्मावती जी की मांग की पर रत्नसेन उसे साफ इनकार कर दिया और वो हार गया.
कुछ दिन बाद जब कुछ शांति हुई, रत्नसेन ने उन्हें खाने पर बुलाया जबकि रत्नसेन के सेनापति “गोरा और बादल” उसके विरोध में थे जिसके कारण रत्नसेन ने दोनों सेनापतियों को दरबार से निष्कासित कर दिया यहाँ जब खिलज़ी जाने लगा तो जब रत्नसेन उसे बाहर तक छोड़ने गये तो वहाँ उसने छल करके रत्नसेन को बंदी बना लिया.
अब खिलजी अपने राज्य से मांग करने लगा कि रानी पद्मावती को उसके पास भेजा जाये नही तो वो रत्नसेन को मार देगा तो वहाँ रानी पद्मावती को काफी दुःख हुआ वो अपने सुहाग के रक्षा के लिये प्रयत्न करने लगी.
और एक दिन जब वो किसी जंगल से गुजर रही थी वहाँ उन्होंने गोरा को बैठा देखा और उन्होंने उनसे मदद करने को कहा.
इसका बाद रड्नीति बनाई जाती है और खिलज़ी को सन्देश भेजा जाता है कि, रानी आयेगी पर अपने कई रानियों के साथ तो खिलज़ी उत्सुक हो जाता है इधर “गोरा” रड्नीति तैयार करते हैं की पालकियां तैयार की जायें और हर पालिकी में, “राजपूत” रानियों के वेशभूषा में रहेगे .
सभी पालकियों में बैठ जाते हैं और रानी पद्मावती खुद बादल को तिलक करती है. उधर सभी पालकियां और सभी लोग पहुच जाते हैं खिलजी के दरबार में और खिलजी से कहते हैं कि, महारानी का एक निवेदन है की उन्हें एक बार रत्नसेन से मिलवाया जाये.
जैसे ही महारानी को रत्नसेन से मिलाते हैं गोरा और उनकी सेना रत्नसेन को बंधन से मुक्त कर देते हैं और काफी मशक्कत के बाद राजा रत्नसेन अपने महल सकुशल पहुच जाते हैं पर उनके सेनापती गोरा अंतिम समय तक लड़ते हुए प्राण त्याग देते हैं.
उसके बाद एक बार जब राजा रत्नसेन अनुपस्थित होते हैं, तब राजा देवपाल रानी पद्मावती को शादी के निवेदन करते हैं. जब ये बात रत्नसेन को पता चलती है वे दंड देने का निर्णय करते हैं और दोनों की आपसी लड़ाई में दोनों की मृत्यु हो जाती है.
इसके बाद दोनो रानी अपने सतीत्व का परिचय देते हुए आत्मदाह करती हैं..ये कहानी है पद्मावत कि जिसके कुछ प्यार भरे और कुछ युद्ध के अंगो को फिल्म पद्मावती में दिखने की कोशिश की गयी है .