आजकल ऑनलाइन ट्रोलिंग के नाम से हिंसा का एक नया प्रारूप समाज में संगठित रूप से प्रचलित हो रहा है। कहने के लिए तो तो यह शाब्दिक हिंसा है पर यह शारीरिक हिंसा और संगठित हिंसा से भी बढ़कर है, जिसका शिकार कोई भी हो सकता है। जो भी सक्रिय रूप से सामाजिक राजनीतिक गतिविधियों का पर्यवेक्षण करते हैं उस पर अपने विचार रखता है वो इसके निशाने पर आ सकते हैं। वह गुरमेहर कौर हो सकती हैं, जो अपने कैम्पस में सक्रियता के कारण ट्रोलर्स के निशाने पर आ सकती हैं। उन पर इतनी अभद्र और अश्लील टिप्पणियां करते हैं, बलात्कार तक कि धमकियां दी जा सकती हैं या फिर वो कविता कृष्णन हो सकती हैं जिन्हें ‘फ्री सेक्स’ के मुद्दे पर बोलने पर उनकी बातों को गलत तरीके से इस्तेमाल करके तमाम तरह के अश्लील शब्दों से उनको ट्रोल किया गया।
ये एक-दो किस्से नहीं हैं। तमाम लोग इस ऑनलाइन बुलिंग के शिकार हैं। कभी प्रियंका चोपड़ा को प्रधानमंत्री से मिलने पर गलत ड्रेस के चुनाव के लिए तो कभी उनकी दिख रही टांगों को लेकर ट्रोल किया जाता है। कभी मोहम्मद शमी को उनकी पत्नी के गाउन के लिए तो कभी ‘दंगल गर्ल’ फातिमा सना शेख को स्विमवियर में फोटो पोस्ट करने को लेकर इसलिए परेशान किया गया कि रमज़ान के पाक महीने में एक मुसलमान औरत को इस तरह का लिबास शोभा नही देता। ठीक उसी तरह हम सभी देख रहे हैं कि अभी पद्मावती फ़िल्म को लेकर दीपिका पादुकोण को किस तरह से ट्रोल किया जा रहा है।
पहले तो असहिष्णुता इस हद तक बढ़ चुकी है कि कोई इस लोकतांत्रिक देश में भी किसी के व्यक्तिगत विचारों के लिए कोई जगह नहीं है। जैसे अभी जब दीपिका पादुकोण ने अपनी आने वाली फिल्म पद्मावती के संबंध में बोला की फिल्म रिलीज़ होगी तो अपने आप को क्षत्रिय कहने वाले तमाम तथाकथित राजपूतों के खून उबाल मार रहे हैं। कहीं दीपिका की नाक काटने की धमकी दी जा रही है और कहीं सर कलम करने की। ये कहा जा रहा है कि ऐसे तो हम राजपूत हैं औरतों पर हाथ नहीं उठाते पर हम शूपर्णखा की तरह दीपिका की नाक काट देंगे। और ये हो रहा है रानी पद्मावती की आन बान की रक्षा के लिये।
अब सोचने वाली बात ये है कि ये राजपूत समाज जिनके पास से राजसत्ता निकल चुकी है, देश अब एक लोकतांत्रिक देश है, न्याय दिलाने के लिए कानून का प्रावधान है और हर अपराध के लिए एक निश्चित दंड विधान है उसके बाद भी स्त्रियों को लेकर पब्लिक प्लेटफॉर्म पर ये इस तरह की धमकियां दे रहे हैं वो भी एक इतनी बड़ी अभिनेत्री को। अगर इनका राजतंत्र रहा होगा और स्त्रियां इनके लिए आश्रिता और भोग्या मात्र रही होंगी तब उनके साथ ये कैसा सुलूक करते रहे होंगे ?
इन सभी घटनाक्रम को देखने पर बार-बार एक ही प्रश्न दिमाग में आता है कि क्या इनके मुख से रानी पद्मावती की आन-बान-शान की रक्षा जैसी बातें अच्छी लगती है?
क्या ये लोग देश के लिए , समाज के लिए केवल अराजकतापूर्ण माहौल तैयार करके लोगों को तमाम नए-नए तरीकों से बांटकर देश की अखंडता और सहिष्णुता को खंडित नहीं कर रहे हैं। और इस तरह ये जाने-अनजाने में केवल समाज में नए तरह की हिंसा को बढ़ावा देने वाले ट्रोलर्स की लंबी जमात खड़ी कर रहे हैं।
महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों के प्रति सरकार नई-नई समितियां बनाकर कानूनों को और कठोर और व्यापक बनाने की कोशिश कर रही है वहीं समाज मे इन संशोधनों से भी त्वरित गति से नए अपराध जन्म ले लेते हैं और सरकार के कानून के दायरे पुनः छोटे पड़ जाते हैं।
इसी रूप में हम ट्रोलिंग की प्रवृत्ति को बढ़ते हुए देख रहे हैं, जो किसी भी समुचित कानून के दायरे के बाहर है। लड़कियों के साथ ये घटनाएं ज़्यादा देखने को मिलती है क्योंकि ये ट्रोल्स ज़्यादातर पुरुष होते हैं और उन्हें बर्दाश्त नहीं होता है किसी लड़की का खुल के किसी मुद्दे पर बेबाकी से बात करना। तुरंत ये आहत हो जाते हैं, फिर ये उसके कमेंट बॉक्स और इनबॉक्स में ऐसी आक्रामक भाषा और अश्लील टिप्पणियों की बौछार करते हैं कि वो डर के पीछे हट जाए, और फिर बोलना बंद कर दे।
ये लड़कियों के साथ वर्षों से चली आ रही बहुत पुरानी कोशिशों का नया तरीका है।
यह हम सब के साथ होता है। यह केवल एक्सिडेंटल नही होता है बल्कि बहुत सुनियोजित तरीके से होता है। क्योंकि आजकल इसका प्रयोग सब अपने निजी फायदे के लिए भी करते है चाहे वो राजनीतिक पार्टियां हो या कट्टरपंथी धार्मिक और सामाजिक संस्थाएं। उनकी ट्रोलर्स की एक टीम होती है जिनका प्रयोग वो लोगों का ध्यान ज़रूरी मुद्दों से भटकाने के लिए करते हैं ताकि जनता अपने अधिकारों और उनके उत्तरदायित्वों के लिए सवाल न कर सके।