मलिक मोहम्मद जायसी के पद्मावत में पद्मावती के साथ साथ नागमती का भी वर्णन है ।
नागमती राजा रतन सिंह की पहली पत्नी है, जब राजा रतन सिंह पद्मावती की खोज में सिंहल द्वीप चले जाते हैं तो जायसी ने नागमती के विरह का अद्भुत वर्णन किया है ,जो हिंदी साहित्य की धरोहर है ।
पद्मावत के अनुसार पद्मावती के साथ साथ नागमती भी जौहर करती है । पद्मावत का केंद्रीय पात्र चाहे पद्मावती हो या राजा रतन सिंह लेकिन नागमती नहीं है । फिर भी नागमती का पात्र मध्ययुगीन समाज के बारे में कई प्रश्न चिन्ह छोड़ जाता है ।
नागमती के नजरिए से पूरे पद्मावत के घटना क्रम को देखना एक अलग अनुभव हो सकता है ।लेकिन नागमती को केंद्रीय पात्र रखकर फिल्म बनाने के लिए साहस चाहिए, जो कि पॉपुलर सिनेमा बनाने वालों में अक्सर नदारद रहता है ।
दूसरा सवाल कि क्या पद्मावती वास्तविक पात्र था या मिथकीय चरित्र ?
मलिक मोहम्मद जायसी ने लोक आख्यानों में चली आ रही कथा को ही आधार बनाया । लोक आख्यानों में वास्तविकता और मिथक इतने घुले-मिले होते हैं कि, उन्हें अलग अलग करना आसान नहीं होता ।
वैसे भी लोकतत्व के संदर्भ में पद्मावत पृथ्वीराज रासो और रामचरितमानस के मध्य का संधि बिंदु है । पृथ्वीराज रासो में जहां लोकतत्व प्रधान है वही राम चरित्र मानस में शिष्ट तत्व ।
पद्मावत इनके बीच की रचना है जहां पूर्वार्ध में लोकतत्व प्रधान है वही उत्तरार्ध में शिष्ट तत्व ।मलिक मोहम्मद जायसी बिना किसी सांप्रदायिकता के लेशमात्र के हिंदू घरों में चले आ रहे लोक आख्यान की इस कथा को पूरे मनोयोग से कहते हैं ।
कुछ के अनुसार पद्मावती को जौहर करने की बजाय रानी लक्ष्मी बाई की तरह युद्ध करना चाहिए था ।
लोक आख्यान समय सापेक्ष होते हैं । 14 – 15वीं सदी के लोक आख्यान उस समय की वास्तविकता और कल्पना से परे नहीं जा सकते ।
पद्मावत की त्रासदी केवल पद्मावती या नागमती की त्रासदी नहीं है ,बल्कि उस मध्ययुगीन स्त्री की भी त्रासदी है जो दो पाटों के बीच पिस रही थी ।