आज जहा समाज ओर कानून महिलाओं की सुरक्षा को लेकर नये नये शोध व कानूनो का निर्माण करके महिलाओं को सुरक्षित मौहोल देखें के नये आयाम तलाश कर रहा है वही समाज के निचले हिस्से में हजारों महिलाए ओर अधिक यातनाए व उत्पीड़न सहन करके जीवन वयतित कर रही हैं जिनका कोई भी समाधान मुझे दिखाई नहीं दे रहा
“””जहाँ महिलाओं की पुजा होतीं है वहां देवताओं का वास होता हैं”””
आरम्भ से ही मैं किताबों में यह वाक्य पढता आ रहा हूँ ओर सुनता भी । हमारे समाज में तो महिलाओं के मान सममान , लक्ष्मी रूप तक माना जाता हैं पर अभी कुछ दिनों से मुझे इन वाक्यो व बातों पर सदेंह हो रहा है कयोंकि यह सभी मैंने किताबों में स्कुलो में पढ़ा है पर वास्तविक रूप में समाज में जो देखा वो बिल्कुल अलग ही हैं समाज में महिलाओं को पुरूषों दवारा गलत नजरों से ताकना ,छोटी छोटी बचियो के साथ छेड़छाड़ व रेप जैसे घटनाएँ , घरों की चार दिवारों के बीच महिलाओं के साथ मानसिक शारीरिक शोषण व रास्ते में महिलाओं के साथ दुरव्यवहार देखकर ऐसा लगता है की ऐसे समाज में महिलाएं कैसे जिती हैं ओर भगवान किस घर में वास करते हैं
अभी पिछले दिनों पानीपत में एक तीन साल की छोटी सी बच्ची के साथ रेप की घटना ने कानून समाज व समाज वयवस्था पर सवाल खड़ा किया है कि आखरी ये कैसा समाज बनता जा रहा है जहां मानवता की धज्जियां उड़ रही है इनसान की सोच जानवरों से भी गई गुजरी होती जा रही है जिस तीन साल की बच्ची को अभी दुनिया की किसी भी चीज का पता नहीं उसकों रेप जैसी गिनोनी घटना का शिकार होना पड़ा जिसकों शायद यह भी नहीं मालूम कि उसके साथ कया हो रहा हैं कया यह सब महिलाओं के प्रति सममान हैं
ऐसी ही एक ओर घटना को में आप के साथ साझा कर रहा हूँ जिसमें एक महिला को घर के चार दिवारी में हो रहे हिंसा यौन उतपीडन घरेलू हिंसा आदि कि शिकार महिला कैसे अपना जीवन वयतित करती है ओर समाज और कठोर कानून को बनाने मे वयस्त है पर कभी भी घरों में हो रहे हिंसा के विषय में कभी नहीं सोचते ओर हम सोचते है की समाज सुरक्षित है
एक लड़की जिसका पिता एक एक पैसा इकट्ठा करके अपनी बेटी की शादी करता है ओर हर चीज देने की कोशिश करता हैं ताकि बेटी को कोई परेशानी ना हो लेकिन कुछ साल बाद लड़की का पति उसके साथ मारपीट शुरू कर देता है और अपने दोस्तों को घर बुला कर शराब पिलाता है ओर अपनी पत्नी को अपने दोस्तों के साथ सोने को कहता है जब वह मना करतीं है तो उसे मारा पिटा जाता है और जबरदस्ती की जाती हैं लेकिन फिर भी माता पिता के पुछने पर लड़की यही कहती है की मैं खुश हु कयोंकि वह लड़की है ओर अपने माता पिता को दुख नहीं देना चाहाती है ओर ना ही ऐसी खबरें अखबारों में आती ओर ना ही समाज व कानून के सामने ओर हमारा समाज ये मानता है कि महिलाओं की हालात ठीक हो रही हैं घरों में महिलाओं की इज्जत बननी हुईं हैं वो सुरक्षित हैं कयोंकि महिला बोलती नहीं हैं ओर समाज सुरक्षित बनता जा रहा हैं
यह घटना सिर्फ किसी एक महिला की नहीं बल्कि हमारे समाज में हजारों महिला ऐसी है जिसके साथ घरों की चारदिवारो में ऐसा होता है ओर हमारा समाज महिलाओं के सममान की चार बातें दिवारों पर लिख देता हैं महिला को घर की लक्ष्मी माना जाता है क्या घर की लक्ष्मी के साथ ऐसा वयवहार ठीक हैं क्या ऐसे घरों में भगवान वास करतें हैं
मेरे अनुसार शायद नहीं कयोंकि जब तक घरों की दिवारों के अंदर ये घटनाएँ होती रहेगी जब तक हम चाहे कितने भी कानून बना लो हम समाज में महिलाओं को सुरक्षित जगह नहीं दे सकते है
यदि वास्तव में घरों में भगवान वास करने वाले शब्दों को सच करना है तो सब से पहले हमें घरों मे महिला व बच्चियों के साथ हो रही यौन हिंसा को समाप्त करना होगा
हमें हमारे समाज में एक पहल करने की जरूरत है घरेलू हिंसा खत्म करने के लिए हर पुरुष को चाहिए कि वह महिलाओं का सम्मान करें उसको अपने हिसाब से कुछ करने की आजादी दे और किसी भी तरह से उस पर दबाव डाले और महिला के परिवार वालों को चाहिए की वह अपनी बहू को बेटी के सामान मानकर अच्छे से रखें, उससे दहेज की मांग ना करें।सभी को सोचने की जरूरत है कि अगर आप किसी को दहेज के लिए इस तरह से प्रताड़ित करोगे तो आपकी भी बेटी है कोई उसको भी प्रताड़ित कर सकता है।दोस्तों हमें इस घरेलू हिंसा जैसे अभिशाप को हमारे समाज से निकाल देने की जरूरत है क्योंकि हमारे देश का लगभग आधा हिस्सा महिलाएं हैं,अगर महिलाएं चाहे तो मिलकर हमारे देश का विकास कर सकती हैं,हमें महिलाओं को अपने अधिकार देने की जरूरत है आजकल महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सरकार ने बहुत उचित कदम उठाएं हैं जिसके चलते अगर किसी महिला पर घरेलू हिंसा की जाती है तो उस पर जल्द से जल्द कार्रवाई की जाती है हमें घरेलू हिंसा को रोकने की जरूरत है।