ये बड़ी अजीब बात है हम खुद से ही शरू होते है और कभी खुद पे नही नही आ पाते । हमारी दुनिया खुद से ही शुरू होती है और हम खुद की ही दुनिया से पूरे जीवन भर अनभिज्ञ रह जाते है । पूरे जीवन भर दुसरो की बनाई दुनिया दुसरो की बनाई वो हर कुछ को अपना समझ बैठते है । जब ये सारी बाते सोचता हूं तो वजह समझ आती है ।वो वो एक ही वजह है वो है ज्ञान । सुनने में बड़ा सरल लगता है ये शब्द पर अपने आप मे ये समस्त सृष्टि को छुपाये बैठा है जिससे लोग अनभिज्ञ है। जो जाने वो आने जीवन मे उस परमानंद को प्राप्त कर उस परमात्मा में विलीन हो गए। जो इससे वंचित रह गए वो आज भी अपने जीवन को किट-पतंगों की भांति अपना सारा जीवन व्यतीत किये और कर भी रहे है । आज के मनुष्य पूरे जीवन भर अपने आत्म साक्षात्कार से वंचित रह जाते है । जब ऐसा होगा तो उन्हें अपने अंदर निहित आने शक्तियों का पता कैसे चलेगा ! फिर जीवन तो वैसे ही होगा जो आज आपके ओर मेरे सामने है । इस सांसारिक जीवन मे जीवन यापन बहुत आसान है पर सिर्फ एक ज्ञान की कमी मात्र से ये सारी मुश्किल आज हमारे सामने आ खड़ी हुई है । जिसे समझना जरूरी है । आत्म मंथन जरूरी है । तब जाके शायद अमृतित्व की प्राप्ति हो पाएगी । तब जिसके हमारा जीवन कस्ट रहित हो पायेगा । तब जाके ही शायद हमारा जीवन सफल हो पायेगा । और एक सफल जीवन ही एक मात्र उद्देश्य है हमारे इस जन्म का ।
विचार करे।
धन्यवाद ??