हम लड़कियों के जन्म के साथ ही हमारी वजाइना को होने वाले पति की सम्पत्ति घोषित कर दी जाती है। हमें हर मोड़ पर उसे सुरक्षित रखने की पूरी सलाह दी जाती है। आपको ज़्यादा फिज़ीकल एक्टिविटी से भी दूर रहने को कहा जाता है, कारण कहीं आपका हाइमन ब्रेक (योनि द्वार की झिल्ली, जिसे ये समाज वर्जिनिटी का मानक मान बैठा है) ना हो जाए। अगर गलती से आपको शादी से पहले वजाइना या उसके आस-पास के पार्ट में कोई बीमारी हो जाए फिर तो हाय तौबा ही मच जाता है।
दरअसल, दो साल पहले मुझे बार्थोलिन सिस्ट हो गया गया था। हमारे वजाइना के पास एक बार्थोलिन ग्लैंड होता है, जिसका रास्ता ब्लॉक हो जाने पर वो सिस्ट का रूप ले लेता है। कई बार ये सिस्ट सिर्फ दवा से भी ठीक हो जाता है, लेकिन अधिकांश केस में ऑपरेशन की ज़रूरत पड़ती है।
इसकी शुरुआत में ही मैं डॉक्टर के पास चली गई थी। डॉक्टर ने मुझसे कहा अभी इसके लिए दवाइयां ले लो। शादी के बाद ऑपरेशन करवा लेना।
उन्होंने मेरी मां से कहा, बच्ची अभी अनमैरेड है, अभी शादी-ब्याह होनी है बच्ची की, ऑपरेशन से बचना ठीक रहेगा। खुद डॉक्टर ने ही बताया कि दवाई से तो ये अभी ठीक हो जाएगा, लेकिन इसका दुबारा होना निश्चित है।
मुझे 5 दिनों बाद डॉक्टर ने वापस बुलाया था। लेकिन, डेढ़ दिन में ही मेरी स्थिति काफी बिगड़ गई। दाने के आकार में शुरू हुआ सिस्ट अब भयावह रूप ले चुका था ऊपर से असहनीय दर्द। जब मैं दुबारा डॉक्टर के पास गई तो उन्होंने मुझे देखकर कहा, “लगता है इसका ऑपरेशन तो करना ही पड़ेगा।” लेकिन, उसके बाद उन्होंने फिर वही बात दुहराई, “कुंवारी लड़की है दवा से ही ठीक करने की कोशिश करते हैं।” और फिर मुझे दवा और इन्जेक्शन देकर 3 दिनों के बाद आने को कहा। जबकि उस वक्त मैं चलने की हालत में भी नहीं थी। इन्जेक्शन भी मेरे दर्द को कंट्रोल नहीं कर पा रहा था।
डॉक्टर की क्लिनिक से निकलते ही मैंने मां से कहा, “प्लीज़ मेरा ऑपरेशन करवा दो वरना मैं मर जाउंगी।”
उस वक्त तक मेरा यूरिन का रास्ता और वजाइना, सिस्ट से ब्लॉक हो चुका था। सिस्ट का साइज़ किसी बड़े पत्थर सा हो चुका था। ना ही मैं चल सकती थी और ना ही बैठ सकती थी। शाम को मुझे एक दूसरी डॉक्टर के पास ले जाया गया। डॉक्टर ने देखते ही कहा, “इसका तुरंत ऑपरेशन करना ज़रूरी है।” मुझे रात को हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया और सुबह-सुबह मेरा ऑपरेशन हुआ। ऑपरेशन करते समय डॉक्टर ने कहा, “बेटा तुम अब तक कर क्या रही थी ? इसे तो बहुत पहले ही ऑपरेट करवा लेना चाहिए था।”
वैसे भी मेडिकल केस में आपकी किसी भी तरह की जांच से पहले आपकी इजाज़त ली जाती है। खासकर, PV Vaginal Examination में इस बात का खास ख्याल रखा जाता है। अगर कोई डॉक्टर बिना पेशेंट या पेशेंट के परिवार की इजाज़त के PV Vaginal Examination करता है तो उसपर मुकदमा भी चल सकता है। मेरा कहना है कि जब इस बात के लिए कानूनी प्रावधान भी है, एक निश्चित लॉ भी है, तब आप सीधे इजाज़त लेकर सही जांच क्यों नहीं करते। अगर किसी केस में खुद लड़की या उसके परिवार वाले ना कहते हैं तो वहां उनकी खुद की ज़िम्मेदारी होगी। लेकिन, एक डॉक्टर का ये जानते हुए भी कि सही इलाज ना किए जाने पर पेशेंट को काफी नुकसान सहना पड़ सकता है आप उसे सिर्फ इसलिए इग्नोर करते हैं क्योंकि वो कुवांरी है।
मेरी बीमारी में हाइमन ब्रेक का कोई खतरा नहीं था और अगर खतरा होता भी तो पहले मेरी जान ज़रूरी थी या मेरी वर्जिनिटी। बहरहाल, शुरू में ही अगर मेरा ऑपरेशन हो जाता तो मुझे उस भयावह दर्द से गुज़रना नहीं पड़ता। इस कहानी को बताने का मकसद समाज के सामने यह सवाल खड़ा करना है कि कुवांरेपन के बचाव के नाम पर कुवांरी लड़कियों को मरने के लिए छोड़ देना आखिर कितना सही है ? आप उस स्थिति में दर्द की भयावहता को इग्नोर सिर्फ इसलिए कर रहें क्योंकि आपको डर है कि लड़की की शादी कैसे होगी ?
लोक नायक जयप्रकाश अस्पताल की गाइनोकोलॉजिस्ट डॉक्टर अंकिता श्रीवास्तव का कहना है कि हम डॉक्टर्स को किसी भी केस की जड़ तक जाने के लिए उसकी पूरी हिस्ट्री और पूरी तरह से सही जांच की ज़रूरत होती है। अगर दोनों में से किसी में भी कमी हुई तो कई बार सही बीमारी का पता नहीं चल पाता।
कई मामलों में डॉक्टर, पेशेंट को डराने का भी काम करते हैं। मेरे ही केस में उस डॉक्टर ने मां को खूब डराने की कोशिश की। ज़ाहिर सी बात है, मेरी मां भी एक ऐसे समाज से आती हैं जहां लड़कियों की शादी को लेकर कई तरह की तथाकथित मान्यताएं बनी हुई हैं। उनका वहां डरना लाज़मी था। लेकिन, अगर डॉक्टर उन्हें डराने के बदले खुलकर सारी बातें कहती तो शायद उनके अंदर भी पहले ही हिम्मत जग गई होती। हालांकि, मैं उस डॉक्टर को भी पूरी तरह गलत नहीं कह सकतीं, क्योंकि वो डॉक्टर भी उसी तथाकथित सामाजिक वर्जनाओं और मान्यताओं से घिरी हुई थीं।
मैं यही कहूंगी, समाज आप लड़कियों की वर्जिनिटी, उसके कुंवारेपन और शादी को लेकर इतना ढकोसला मत करो। ज़रूरी चीज़ यह है कि लड़कियों का जीवन बचा रहे ना कि उसकी वर्जिनिटी की पगड़ी बनाकर इतराते फिरो।