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भीड़ से ही तय करते रहे हैं नेता बिहारियों की तकदीर

27 अगस्त 2017, पटना

आज पटना के गांधी मैदान में रैली हो रही है, तो आइए जानते हैं बिहार को और बिहार में होने वाली रैलियों को। लालू जी पटना में जमा हुए लोगों की औक़ात जानते हैं, उनकी मनःस्थिति से अच्छी तरह वाकिफ़ हैं और उनकी डिमांड को बख़ूबी समझते हैं। लालू जी जानते हैं कि बिहार के लोगों को क्या चाहिए। लालू जी बिहारी मानसिकता को पढ़ना जानते हैं, लालू जी को पता है कि कब कौन सा हथियार काम आएगा।

आज तक लालू जी ने बिहार और बिहारियों को वही दिया है जिससे ना बिहार का भला हुआ और ना बिहारियों का। अब राजनीति का भलाई से कोई सम्बंध नही रहा और अभी क्या! पहले भी कभी नही रहा है।

आप आज को रैली को ही देखिए, लोग कह रहे हैं कि रैली में भीड़ बहुत है। लेकिन भीड़ तो गुरुमीत राम रहीम के साथ भी खड़ी है और सिर्फ खड़ी नहीं है जान लेने और देने पर भी आमदा है, फिर गुरुमीत को ही आप अपना हीरो क्यों नहीं मान लेते। भीड़ हमेशा से भीड़ रही है, जिसके कोई मायने नहीं हैं। बिहार की आबादी का एक बड़ा हिस्सा बेरोज़गारी की गिरफ्त में है और अगर आपको यक़ीन नही तो गांधी मैदान में जुटी जनता से बात करके देखिए, आपको सच्चाई का ज्ञान हो जाएगा। आप समझ जाएंगे बिहार हिकीक़त और यहां के राजनेताओं की चाल।

बिहार के आकाओं ने बिहारियों को भीड़ में तब्दील कर दिया है। कभी जात के नाम पर, कभी धर्म और मज़हब के नाम पर तो कभी बेवज़ह जुटी भीड़ की शक़्ल में और पटना में जुटे लोग भी इस भीड़ से अलग नहीं। मैं आज की रैली को बेहतर मानता अगर यहां बाढ़ से हुए नुकसान पर चर्चा होती, उसकी भरपाई की बात होती। बेरोज़गारी मिटाने की बात होती, बिहार में बढ़ रहे अत्याचार पर लगाम कसने की बात होती।बिहार में मौजूद जातीय भेदभाव को मिटाने की बात होती। बिहार में महिलाओं के उत्थान पर चर्चा होती। बिहार के उज्ज्वल भविष्य की बात होती, बिहार की शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ करने की बात होती और बात होती एक विकसित और वैभवशाली बिहार बनाने की।

बात होती आम जनता की, आम जनता के परेशानियों की मगर यहां तो कुछ और ही चल रहा है। मैं परेशान बिल्कुल नहीं हूं, क्योंकि मुझे पता है कि बिहार के लोग इन मुद्दों पर नहीं सोचते, इन बातों से बिहारियों का कोई सरोकार नहीं। हम बिहारियों की आदत में भक्ति शामिल है, सबने अपना भगवान चुन लिया है जिसकी भक्ति में हम लीन हैं। पटना में जो हो रहा है वह होता रहेगा, आज राजद और उसकी समर्थक पार्टियां हैं तो कल भाजपा, कॉंग्रेस, जदयू या कोई और पार्टी होंगी। और वहां भीड़ की शक्ल में सिर्फ हम बिहारी होंगे, पटना के इसी गांधी मैदान में, क्योंकि हमने कसम खा ली है कि बस भीड़ बने रहेंगे।

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