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“पत्नी धर्म का हवाला देकर मेरा पति लगातार मेरा रेप करता रहा”

इम्पैक्ट: डिजिटल हिंदी पाठकों के बीच मैरिटल रेप पर एक नई चर्चा की शुरुआत करने का काम हुआ इस लेख से। बहुत सारी ऑनलाइन चर्चाओं में इस लेख का रेफरेंस दिया गया।

बात तब की है जब मैं एक सामुदायिक रेडियो “गुडगांव की आवाज़” में सेक्शुअल हेल्थ पर काम कर रही थी। इस दौरान सेक्शुअल हेल्थ से संबंधित कई विषयों पर काम करने का मौका मिला, जिसमें मैरिटल रेप (वैवाहिक बलात्कार) के गंभीर विषय से भी हमारा सामना हुआ। महिलाओं से बात करने पर पता चला कि बड़ी संख्या में महिलाएं इस तरह के बलात्कार का शिकार हो रही हैं, जिसके खिलाफ वे आवाज़ भी नहीं उठा पाती।

इस प्रोजेक्ट के सिलसिले में मेरी कई औरतों से बातचीत हुई। मगर एक दिन एक ऐसी महिला ने मुझे अपनी कहानी बताई, जिससे मैं अक्सर मिला करती थी, लेकिन कभी पता ही नहीं चला कि वह भी मैरिटल रेप की शिकार है। उसकी शादी 18 साल की उम्र में ही कर दी गई थी। शादी की पहली रात से ही वह अपने पति की ज़बरदस्ती सहने को मजबूर रही थी। उस महिला ने उस दिन विस्तार से मुझे अपनी कहानी बताई।

“मुझे नहीं पता था कि शादी के बाद क्या होता है। कच्ची उम्र में ही मेरी शादी तो तय कर दी गई, मगर शादी के बाद की चीज़ों के बारे में मुझे कुछ नहीं बताया गया। शादी की पहली रात मेरे पति जैसे मुझपर चढ़ ही गए थे, मेरे लिए सब बहुत डरावना था। मुझे दर्द भी हो रहा था और बहुत शर्म भी आ रही थी। कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि कोई मेरे शरीर के साथ ऐसा कुछ करेगा। मेरे पति तब तक नहीं रुके जब तक उन्हें नींद नहीं आ गई। सुबह होते ही मैंने अपनी माँ को फोन लगाया और रात की बात बताते हुए रोने लगी तो मेरी माँ ने कहा कि पागल है क्या तू, वह तेरे पति हैं, इसे अपना पत्नीधर्म समझ कर निभा ले।

उस औरत ने बताया कि धीरे-धीरे वह इसकी आदी हो गई, मासिक धर्म के दिनों में भी उसका पति उसे नहीं छोड़ता था। उसका पूरा बिस्तर खून से सन जाता था और कुछ दिन बाद वह गर्भवती हो गई। उसे मायके भेज दिया गया, वह खुश थी कि उसके साथ ऐसा कुछ नहीं हो रहा था। बच्चा होने के बाद उसका शरीर बहुत कमज़ोर हो गया। इस कारण डॉक्टर ने कुछ दिनों तक उन्हें संबंध बनाने के लिए मना किया हुआ था। मगर उसका पति मानने वालों में से नहीं था यहां तक कि उसे प्रोटेक्शन लेना भी मंज़ूर नहीं था। नतीजतन एक महीने बाद ही वह फिर से गर्भवती हो गई।

शरीर से कमज़ोर होने के कारण 2 महीने में ही उसका बच्चा गिर गया। अपनी कहानी बताने के बाद उस महिला ने कहा था “अपने पति से मैं भी प्यार करना चाहती थी, मगर कभी कर नहीं पाई।” इस तरह की कहानी हमारे समाज में हर दूसरे घर में मिल जाएंगी, जहां औरतें अपने पति द्वारा ही बलात्कार की शिकार हो रही हैं।

वैसे इसके लिए ज़िम्मेदार अकेले उस एक पुरुष को नहीं ठहराया जा सकता है, बल्कि इसका ज़िम्मेदार हमारा वह समाज है, जहां सेक्स को पुरुषों की मर्दानगी से जोड़कर देखा जाता है। मुझे याद हैं एक औरत ने अपनी कहानी बताते हुए कहा था-

“मैडम मेरे पति बहुत अच्छे हैं। कभी भी मेरी इजाज़त के बिना संबंध नहीं बनाते। यहां तक कि पहली रात भी मेरे मना करने के बाद वह कुछ नहीं बोले। मगर उन्होंने मुझे कहा था कि किसी और को मत बताना कि हमारे बीच कुछ भी नहीं हुआ, वरना लोग मेरी मर्दानगी पर ताना देंगे। इस घटना को हम एक ऐसे उदाहरण के रूप में देख सकते हैं, जब मर्दानगी के नाम पर एक पुरुष को जबरन संबंध बनाने के लिए ज़ोर दिया जाता है।”

इसके परिणामस्वरुप स्त्रियों के मन में यौन संबंध के प्रति नफरत घर कर लेती है। प्यार का यह अनमोल रूप हिंसा में तब्दील हो जाता है। जबकि यौन संबंध पुरुष और स्त्री दोनों की इच्छा और ज़रूरत है। पुरुषों की शारीरिक बनावट ऐसी होती है कि संबंध बनाने से उनकी थकान दूर होती है, जबकि औरतों को इसमें कुछ हद तक थकान महसूस होती है। वैसे भी हमारे समाज में सामान्यतः घर की सारी ज़िम्मेदारी औरतों के सर पर ही थोप दी जाती है, दिन भर के काम से थकने के बाद हर दिन उसका संबंध बनाने का मन नहीं होता।

करीब 50 साल की एक महिला ने अपने पति के बार में बताते हुए कहा था, “वो आज मुझे अगर अपने पास बैठने के लिए बुलाते भी हैं तो उनके पास जाकर बैठने का मन नहीं करता। मन भी कैसे करे, शादी होते ही घर की सारी ज़िम्मेदारी मेरे सर पर थोप दी गई। दिन भर काम करके शरीर बिल्कुल जवाब दे देता था। उम्र भी बहुत कम थी मेरी, मगर काम के बाद जब आराम करने का मन होता तो पति घर आते ही बिस्तर में चलने के लिए बोलते। अगर मना करो तो फिर घर में बवाल कि मेरी इससे थकान दूर होती है और वैसे भी तू तो दिन भर घर में ही रहती है।

अब किस बात की पत्नी जो पति का थकान भी दूर न करे। उस औरत का कहना था कि संबंध बनाना मेरे लिए कोई प्यार नहीं रहा बल्कि सज़ा थी मेरे लिए। उनके लिए तो मैं बस एक ज़रूरत पूरी करने वाली मशीन थी। उसके घर का सारा काम करने वाली और दूसरा संबंध बनाकर उसकी थकान दूर करने वाली औरत।

इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत हम लोग एक रेडियो नाटक भी बनाया करते थे, जिसमें लाइव डॉक्टर के जुड़ने का एक सेशन हुआ करता था। डॉक्टर उस सेशन में अक्सर लोगों को यह सलाह दिया करते थे कि आप पत्नी के पास सिर्फ संबंध बनाने मत जाया करो, बल्कि अपने प्यार का इज़हार दूसरी तरह से भी करने की कोशिश करो। देखना आपकी पत्नी आपसे कितनी खुश रहा करेगी। डॉक्टर से बात करने के लिए हमारे स्टेशन में काफी कॉल आया करते थे। कई पुरुषों का कहना था कि हमें बार-बार अपनी पत्नी के साथ संबंध बनाने का मन होता है। कुछ पुरुषों ने बताया कि जब वो ऑफिस में होते हैं तब भी मन होता है कि जल्दी से घर जाकर पत्नी के साथ यौन संबंध बनाएं। ऐसा नहीं कर पाने पर उन्हें बहुत बेचैनी होती है।

डॉक्टरों का कहना हैं कि यह एक तरह की मानसिक स्थिति भी है, किसी चीज़ की लत लग जाना या उसके बारे में दिन रात सोचने पर हर बार आपका दिमाग उसी ओर जाता है। खासकर युवाओं के साथ ऐसा कई बार होता है। डॉक्टरों का कहना है कि पहले तो उन पुरुषों को अपना ध्यान कहीं और लगाने की कोशिश करनी चाहिये। दूसरा कई बार पुरुषों के उत्तेजित हो जाने पर उनका वीर्य भी निकल आता है, जिसके बाद उन्हें सेक्स करने की ज़रूरत महसूस होती है। अगर उस वक़्त वह पुरुष अपने साथी के साथ नहीं हैं या उसकी साथी की रज़ामंदी नहीं हैं तो वह हस्तमैथुन करके भी अपनी उत्तेजना शांत कर सकता है।

हांलाकि हमारे समाज में हस्तमैथुन को गलत नज़रिये से देखा जाता है। जबकि इसमें कोई बुराई नहीं है। यह एक सामान्य सी बात है। डॉक्टर भी इसे गलत नहीं मानते।

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कई लोगों का यह भी मानना होता है कि हस्तमैथुन करने से कमज़ोरी या अन्य कोई बीमारी होती है, मगर यह सब गलत धारणाएं हैं। यह चिंता का विषय तब बनता है जब रोज़मर्रा के काम में रूकावट बनने लगे या तनावमुक्त होने का यही एकमात्र साधन बन जाए।

जबरन संबंध बनाने का खामियाज़ा कई बार खुद पुरुषों को भी सहना पड़ता है। पुरुषों के ज़बरदस्ती करने पर कई बार औरतें संबंध बनाने के नाम से ही नफरत करने लगती है। वे घर के कामों में खुद को इतना व्यस्त कर लेती हैं कि पति की तरफ कभी ध्यान भी नहीं जाता। परिणामस्वरूप जल्द ही दोनों के बीच यौन संबंध बनना बंद हो जाता है और पुरुष चाहकर भी इससे वंचित रह जाते हैं। इसलिए इस प्यार को बरकरार रखने के लिए यौन संबंध को हिंसा नहीं बल्कि प्यार का रूप देना ज़रूरी है।

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