बचपन से एक तय ढर्रा होता है। जिसपे अक्सर हम बिना सवाल किए बचपन से ढल जाते हैं। और वो धीरे-धीरे हमारी सच्चाई बन जाती है। जैसे टीवी सीरियल्स और बड़े-बुज़ुर्गों से सुना कि शिव बस कैलाश पर्वत पर ध्यान लगाते मिलेंगे। या सीता का जीवन बस राम के इर्द-गिर्द ही घूमेगा।खैर जब ढर्रा तय हो जाता है तो उसे कोई तोड़ने वाला भी आता/आती है। और ठीक ऐसे ही अमीश त्रिपाठी इस दौर में हमें हमारे पौराणिक (मायथोलॉजिकल) मान्यताओं के उलट अपनी हर किताब के साथ एक नये सफर पर ले जाते हैं।
जैसे मेलुहा और पूरे शिव सिरीज़ की किताबों में अमीश ने हमें एक बेहद ही कूल शिव से मिलाया जो हर वक्त बस कैलाश पर्वत पर नहीं रहते बल्कि सनराइज़ देखने के लिए नदी के किनारे बांहें पसारे भी खड़े होते हैं। जब वो सती को देखते हैं तो तमाम इंसानी भावनाओं से भर जाते हैं। और अब श्रीरामचंद्र सीरीज़ की दूसरी किताब Sita- Warrrior of Mithila में वो हमें मिलवा रहे हैं एक ऐसी सीता से जो हमारी कल्पना से बिल्कुल अलग एक फाइटर हैं, जिन्हें अपनी रक्षा के लिए किसी पे निर्भर होने की ज़रूरत नहीं है, वो खुद एक फाइटर हैं।
ऐसी ही बहुत सी दिलचस्प मुद्दों पर बात करने अमीश Youth Ki Awaaz के ऑफिस आएं और ना सिर्फ हमारे बल्कि आपके सवालों का भी दिल खोल के जवाब दिया। पूरी बातचीत सुनिये और मिलिए एक नई सीता से।
