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हे वोडाफोन, तुम्हारे कस्टमर कष्ट से मर रहे हैं

भारत में 100 करोड़ भी ज़्यादा मोबाइल ग्राहक हैं और हर ग्राहक आज परेशान है, कारण? देश की पांच सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनियां, जो विज्ञापनों में 100 प्रतिशत मोबाइल नेटवर्क कवरेज और सुविधाएं देने का वादा करके ग्राहकों को लुभावने ऑफर देती हैं लेकिन हकीकत में इनके सारे वादे हवा हैं। कंपनियां विज्ञापन पर करोड़ों रुपये खर्च कर ग्राहक तो जुटा लेती है, लेकिन कॉल ड्रॉप, खराब नेटवर्क और गलत बिल मिलने के कारण ग्राहक जल्द ही दूसरी कंपनी तलाशने लगता है। टेलिकॉम सर्विस के प्राइवेटाइजेशन के करीब दो दशक के बाद भी ग्राहकों को अब तक क्वॉलिटी मोबाइल सर्विस नहीं मिल पा रही है।

200 मिलियन ग्राहकों के कनेक्शन वाली वोडाफोन कंपनी इन्हीं नामचीन और धोखेबाज टेलिकॉम कंपनीज में से एक है। पिछले दिनों हमारे ग्रुप के लगभग हर व्यक्ति ने वोडाफोन की खराब सर्विसेज के बारे में शिकायत की है। वोडाफोन का “हैप्पी टू हेल्प यू”, वोडाफोन कस्टमर को परेशान कर रहा है। ग्राहकों का कहना है कि, यह लाइन वोडाफोन के काम और नाम दोनों के बिलकुल विपरीत है, जिस सुन कर अब चिढ़ होने लगी है।

पिछले एक साल से वोडाफोन इस्तेमाल कर रहे रिहान कहते हैं, “छह महीने पहले मैंने अपने नंबर को पोस्टपेड कराया। शुरू के दो-तीन महीने तो सब कुछ ठीक चला, फिर मनमाना बिल आने लगा। जब इसकी शिकायत वोडाफोन स्टोर में की गई, तो उन्होंने कुछ भी मदद करने से इंकार कर दिया। दो-तीन बार फोन करने पर झल्लाते हुए कुछ भी जवाब देने से मना कर दिया गया। अब मैं परेशान हो चुका हूं और हार कर दूसरा कनेक्शन लेने की सोच रहा हूं।”

यही हाल हर दूसरे वोडाफोन ग्राहक का है, कुछ हार कर अपना कनेक्शन बदल लेते हैं तो कुछ आज भी बढ़े हुए बिल, खराब नेटवर्क और कभी न सुनने वाले कस्टमर केयर को झेल रहे हैं। यह दिल्ली जैसी मेट्रो सिटी का हाल है जबकि दिल्ली वोडाफोन के सबसे ज़्यादा सब्सक्राइबर्स वाला शहर है।

मुंबई के ठाणे में रेडिमेड कपड़ों का बिजनेस करने वाले मनोहर वर्मा ने वोडाफोन की बिना रूकावट सर्विस का विज्ञापन देखकर आइडिया से शिफ्ट किया था। वोडाफोन नेटवर्क 15 दिन के बाद ही फ्ल्कचुएट होने लगा, मोबाइल पर हर दिन 15 में से 10 आउटगोइंग कॉल ड्रॉप होती हैं। 10-20 सेकेंड में कॉल कटने पर जाहिर है हर बार नई कॉल शुरू हो़ती है। जिस वजह से अशोक वर्मा का बिल 1000 रुपये की जगह 1500 रुपये तक आता है। बिल उनके लिए सिरदर्द बाद में हैं उससे पहले उनकी शिकायत यह है कि वह अपने ग्राहकों से बात नहीं कर पाते। इसका असर उनके बिजनेस पर पड़ रहा है, इसके लिए उन्होंने कस्टमर केयर को सैकड़ों बार कॉल किया लेकिन हर बार उन्हें निराशा ही हाथ लगी है।

सिर्फ यही नहीं, वोडाफोन से परेशान ग्राहक अपनी फेसबुक वाल पर भी अपना दुःख व्यक्त कर रहे हैं। वोडाफोन की ग्राहक प्रियंका ने भी अपनी वाल पर अपनी परेशानी को कुछ यूं व्यक्त किया-

“पिछले 8 दिनों से टेलिकॉम कंपनी  Vodafone India,ने अपनी सेवाओं के नाम पर त्रस्त कर रखा है, पहले यही लोग पीछे पड़े कनेक्शन ले लीजिएउसके बाद अपने जाल में फंसाते ही Vodafone Delhi ने परेशान करना शुरू कर दिया।आज 3 दिन से मेरा फ़ोन बंद हैं। सोचिए, दिल्ली जैसे शहर में अकेले रहना, प्रोफेशनली और सोशली एडजस्ट करना कितना मुश्किल हो रहा होगा। अपने परिवार से बात तक नहीं हो पा रही है, इससे दुखद और क्या होगा।

जहाँ से कनेक्शन के लिए कॉल किया गया, वहां से सम्पर्क होना नामुमकिन हो गया,  कोई फ़ोन काम कर रहा है न ही कोई दूसरा नंबर लगता है। एग्जीक्यूटिव और टेलीकॉलर गायब हो गए, इसके बाद वेबसाइट पर भी कोई सुविधा नहीं। Vodafone it  के सारे कर्मचारी महा धोखेबाज़ हैं, न फ़ोन करते हैं, न उठाते हैं। अपने टारगेट को पूरा करने के चक्कर में कस्टमर के साथ किसी भी तरह की धोखाधड़ी से ये लोग नहीं चूकते। सिक्यूरिटी चार्ज लेकर और इनवैलिड सिम थमा कर सभी चंपत हैं।

इन टेलिकॉम कंपनीज ने अपने धंधे के लिए कस्टमर का खून पीना शुरू कर दिया है। ये लोग नहीं जानते कि हम कस्टमर ही इनकी ईंट-से-ईंट बजा सकते हैं। समझ आता है कि कैसे लोगों को धोखा देकर ये कम्पनियां अपना व्यापार चला रही हैं। जो भी मुझे संपर्क कर रहें हैं, उनके लिए मेरा इनबॉक्स है। बाकी इन वोडाफोन वालों की मैं अब  Consumer Voice उपभोक्ता मंच पर शिकायत करने वाली हूं।”

यही नहीं, वोडाफोन के ग्राहक इस बात को लेकर भी खासे परेशान हैं कि वोडाफोन अपने मैसेज, फ़ोन, मेल और बिल को हिंदी में नहीं भेजते हैं। जिसके कारण ग्राहकों का एक बड़ा हिस्सा उनकी किसी बात को समझने में दिक्कतों का सामना करता है। वोडाफोन ने हिंदी में विज्ञापनों का अच्छा प्रयोग किया लेकिन ग्राहकों से सम्पर्क साधने में नहीं! इस समस्या से तंग आ कर मुंबई के प्रवीन जैन ने वोडाफोन को एक मेल भी लिखा-

प्रति-

ग्राहक सेवा अधिकारी
वोडाफोन इण्डिया लिमिटेड
लोअर परेल, मुंबई

महोदय,

मुझे अंग्रेजी समझ नहीं आती और आपकी कम्पनी सभी ईमेल, पत्राचार, एसएमएस संकेत एवं मोबाइल बिल केवल अंग्रेजी में भेजती  हैं, हरेक नए ऑफर की सेवा शर्तें भी केवल अंग्रेजी में होती हैं, जिन्हें समझना हम जैसे आम भारतीय नागरिकों के लिए कठिन है। जब हम इन शर्तों को समझ नहीं पाएंगे तो सही निर्णय कैसे करेंगे? इससे आम ग्राहकों के साथ ठगी और शोषण होता है, उनको फंसाया जाता है। आप ग्राहकों को हिंदी में जानकारी (ईमेल, पत्राचार, एसएमएस, मोबाइल बिल आदि) क्यों नहीं भेजते?

आपसे अनुरोध है कि आगे से मुझे सभी ईमेल, पत्राचार, एसएमएस,मोबाइल बिल आदि  जो भी कुछ आपकी कंपनी के द्वारा भेजा जाता है उसे हिंदी में अथवा द्विभाषी  (हिंदी-अंग्रेजी) अथवा मराठी भाषा में भेजा जाए। जब आप ग्राहक को उसकी भाषा में सूचना उपलब्ध नहीं करवा सकते हो तो कैसी ग्राहक सेवा (कस्टमर केयर)? कैसी ग्राहक संतुष्टि? आपके जुमले ‘हैप्पी टू हैल्प’ का क्या मतलब है ?

ग्राहकों पर जबरन अंग्रेजी थोपना बंद कीजिए, आपको तो अपने मोबाइल/ब्रौडबैंड के ग्राहक चाहिए हैं, आप मोबाइल कनेक्शन बेचते हैं ना कि अंग्रेजी। अब अंग्रेजी के नाम पर ग्राहकों का शोषण बंद कीजिए। आप भारत जैसे बहुभाषी देश में कंपनी चला रहे है जहां हर भाषा के बोलने वाले पाँच-२ करोड़ से ज्यादा हैं। जब आप एक करोड़ से कम आबादी वाले देशों में उनकी भाषा में बिल, ईमेल, वेबसाइट आदि की सुविधा दे सकते हैं तो भारत के नागरिकों ने आपका क्या बिगाड़ा है जो उनके साथ अन्याय किया जा रहा है?

यदि आप मुझे हिंदी में उक्त सभी जानकारियां उपलब्ध नहीं करवा सकते तो स्पष्ट बताइये ताकि मैं अपना अपने चारों वोडाफोन कनेक्शन कटवा दूं और किसी अन्य मोबाइल कंपनी से जुड़ जाऊं जिसने ग्राहकों को मोबाइल बिल के साथ-2 अन्य जानकारियां हिंदी में देना शुरू किया है। ब्रांड अवार्ड जीत लेने भर से कंपनी ग्राहक सेवा में अग्रणी नहीं बन जाती बल्कि ग्राहकों को बेहतर सुविधाएं देने से बनती है।

आपसे सकारात्मक उत्तर की अपेक्षा है।

प्रवीण जैन
मो.- 9819983708

इस मेल के समर्थन में एक अन्य उपभोक्ता विजय सिंह ने अपनी टिप्पणी कुछ यूं दी- “प्रवीन जी आप ने हम सब की बात कह दी। आज की ही बात है वोडाफ़ोन ने मेरे साथ धोखाधड़ी की और 5 हजार के बिल भेज दिया। क्योंकि इंग्लिश में लिखे लम्बे चौड़े सेवा शर्तों  को बिना पढ़े मैंने हस्ताक्षर कर दिया था।”

वोडाफोन ने आम जनता को ही नहीं बल्कि अभिनेता अमिताभ बच्चन को भी पिछले दिनों परेशानी में डाल दिया। जिसके बाद उन्‍होंने वोडाफोन मोबाइल कनेक्शन की सेवा का मुद्दा उठाया और ट्विटर पर मोबाइल नेटवर्क की परेशानी को लिखा। बच्चन ने ट्वीट किया, ‘वोडाफोन हमें एक समस्या है..!! सभी भेजे गए संदेश विफल हुए.. एसएमएस मिल रहे हैं, लेकिन जा नहीं रहे।’

अब चूँकि अमिताभ सेलेब्रिटी हैं इसलिए उनकी समस्या आधे घंटे में ठीक हो गयी लेकिन आम जनता का क्या? आम जनता जो वोडाफोन को दूसरी सबसे बड़ी टेलिकॉम कंपनी बनाये हुए है, ऐसे में अपने ग्राहकों की तरफ ऐसा उदासीन रवैया रखना बेहद निंदनीय है।

हाल ही में वोडाफोन ने महिलाओं को स्पेशल रिचार्ज की सुविधा यह कह कर दी कि उन्हें महिलाओं का ख़याल है। यदि वोडाफोन को महिलाओं का ख़याल है तो उन महिला ग्राहकों का क्या जो सिंगल हैं और किसी नए शहर में हैं। जिनके फ़ोन बिना किसी पूर्व जानकारी के बार्ड कर दिए जाते हैं और वह महिलाएं कस्टमरकेयर को फ़ोन करती हैं तो उनके साथ बत्तमीजी के साथ पेश आया जाता है।

अनुरिमा नाईट शिफ्ट में काम करती हैं और उनका फ़ोन पिछले 24 को अपना बिल साइकिल पूरा करता है जिसकी ड्यू डेट अगले महीनें की 11 तारीख होती है लेकिन वोडाफोन ने उनका फ़ोन 25 की रात को बिना किसी पूर्व सुचना के बार्ड कर दिया। अनुरिमा ने बताया, “मैं कैब के लिए फ़ोन करने वाली थी लेकिन मेरा फ़ोन तब तक बार्ड हो चुका था। मैं हैरान थी कि ये लोग ऐसा कैसे कर सकते हैं, मैं लगातार अपना बिल पे करती आ रही हूं, बिना किसी बिलिंग कॉल के उसके बाद भी अभी ड्यू डेट भी नहीं थी और मेरा फ़ोन बंद हो चुका था। मुझे समझ नहीं आया मैं क्या करूँ।”

उस दिन अनुरिमा दोस्त की मदद से घर आ गयी लेकिन अगर वो दोस्त भी न होता तब? टेलिकॉम कंपनियों के झूठे वादे और मनगड़ंत प्रलोभन ग्राहकों के जीवन को इतना प्रभावित कर देते हैं कि तंग आ कर ग्राहक सिर्फ कंपनियां ही बदलता रह जाता है। यह बाहरी आकर्षण से भरी एक ऐसी सेवा है जिसमें नुकसान सिर्फ ग्राहक का है और मुनाफा सिर्फ कंपनियों का।

फोटो आभार: वोडाफोन इंडिया फेसबुक पेज और  फेसबुक पेज Baroda Rocks

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