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बेटियों का साथ दें, उनकी आज़ादी का ढिंढोरा ना पीटें

बदल रहा है हमारा समाज, आजकल लड़कियों को भी अच्छे स्कूल में भेजा जाने लगा है, अच्छी शिक्षा दी जाने लगी है, ड्रेसिंग सेंस के लिए भी कम ही टोका जाता है, स्लीवलैस तक तो परमिशन मिल ही जाती है, जीन्स-ट्राउज़र्स के लिए भी बवाल नहीं होता अक्सर घरों में, और अच्छे फोन भी लाकर दे देते हैं। बेटियां आजकल शादियों में डांस करती, मेक-अप करती भाने लगी हैं माँ-बाप को। ये सब करने देते हैं, पर साथ ही हर वक़्त अहसास भी करवाते रहते हैं क़ि [envoke_twitter_link]हमने अपनी बेटियों को पूरी आजादी दी है[/envoke_twitter_link] हमने पूरी छूट दी है, हमने उन्हें किसी चीज़ के लिए नहीं रोका आदि-आदि।

फिर यह कहते-कहते एक दिन उन्हें याद आता है, कि बेटी बीस साल से ऊपर हो गयी है, अब उसके लिए लड़का देखना पड़ेगा, अब शादी जरुरी है। फिर वो रिश्तेदारों में लड़का पूछने लगते हैं, अचानक उनकी भाषा बदलने लगती है। बेटी को बेटा मानने से उनके शब्द घरेलु लड़की तक पहुँच जाते हैं। समाज में अच्छी इमेज़ के लिए वो सूट और साड़ी पसंद करवाने लगते हैं ये कहकर कि “एक-दो तो सिलवा ले, कभी काम आ ही जाते हैं।”

हद तो तब हो जाती है जब अच्छे परिवार का कोई रिश्ता आता है, भले ही वो शिक्षा में बेटी से कम हो लेकिन ठीक-ठाक कमाता हो, वो अपनी बेटी के लिए उन्हें पसंद आने लगता है। और भूल जाते हैं इस बात को भी कि उनकी बेटी ने इतनी पढाई एक अच्छी जिंदगी के लिये की थी, अच्छी नौकरी के लिए की थी, उसने सोचा था क़ि वो कमाएगी और दुनिया घूमेगी, बिना उसकी मेहनत और सपनों की परवाह के वो इमोशनली फोर्स करके उसका विवाह तय कर देते हैं।

मैंने कई लड़कियों से सुना है कि पापा बोलते हैं, “तेरी शादी कर देंते हैं एक बार, फिर कहीं भी घूम लेना, कहीं भी जॉब कर लेना, तब तक होम-टाउन में ही रहो।” ये जानते हुए भी कि बाद में भी उसे कोई यूँ ही घूमने नहीं जाने देगा। बस प्यार से इस तरह के तर्क देकर आज भी लड़कियों को ऊँची उड़ान दिखाकर पिंजरे में बंद कर दिया जाता है। मैंने हर लड़की को बीस-बाईस साल से शादी होने तक समाज के ताने सुनते-सहते-लड़ते देखा है।

लड़कियों को तो हर बार ही मैं हिम्मत देती हूँ, इन सब परिस्थितियों से जूझने के तरीके बताती हूँ। लेकिन मेरा अनुरोध है सभी माँ-बाप से, कि बेटों को हमने आज़ादी दे रखी है, अगर आप ऐसे शब्द नहीं कहते तो फिर उतना ही नॉर्मल जिंदगी जीने के लिए लड़कियों को ऐसा न कहें क़ि हमने कुछ नहीं कहा तुम्हें, या छूट दे रखी है। उन्हें नौकरी करने दे, उन्हें बाहर निकलने दें। यह हर तरीके से सही है, विवाह के बाद भी उसे सभी कुछ खुद सम्भलना है, घर-गृहस्थी की जिम्मेदारी लेनी है, उसके लिए बेहद जरुरी है क़ि उसमें आत्मविश्वास आए, दुनियादारी सीखे। उसे पूरा हक भी है, और आपका फ़र्ज़ भी है। [envoke_twitter_link]बेटियों का साथ देने की जरुरत है ना कि सो कॉल्ड आज़ादी बाँटने की।[/envoke_twitter_link]

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