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यूपी चुनाव में कोई टिकट बड़ा या छोटा नहीं और टिकट से बड़ा कोई धर्म नहीं

यूपी मे 11 फरवरी को विधानसभा चुनाव के पहले चरण के तहत 15 जिलों में 73 विधानसभा सीटों पर मतदान संपन्न हो गया है। पत्ते काफी हद तक खुल चुके हैं, पार्टियां हर मुमकिन दाव पेंच की अाज़माईश मे मशरूफ हैं । यूपी का तत्कालीन माहौल यह है कि पार्टियां एक दूसरे की पतलून खींचने की जद्दोजहद मे हैं। राजनीतिक पार्टियों ने विरोधी दलों के दिग्गजों पर खूब दाव लगाया है। सूत्रों की माने तो हकीकत कुछ ऐसी है कि दूसरों के थाली की रोटी पर घात लगाए लगाए बैठे थे और खुद का निवाला संभाला नहीं गया ।

यूपी में राजनीतिक फायदों के चलते एक तरफ जहां राजनीतिक दलों ने गैरो के प्रति बेशुमार अपनापन दिखाया है। वहीं अपनो को गैर बना दिया है। ये खूब देखने को मिला कि पार्टियों ने पहले से घोषित अपने प्रत्याशियों का टिकट काटकर, दूसरी पार्टियों से शामिल हुए नेताओं को वही टिकट देने का ऐलान कर दिया है। बीजेपी और बीएसपी ने खूब दिल खोल कर बाहरियों को टिकट बांटे और अपने नेताओं को नजरअंदाज करके ख़ासा मायूस किया है।

बीएसपी की बात करें तो पार्टी ने ना केवल अपने पारंपरिक दलित वोट बैंक को तवज्जो देते हुए टिकट बांटे हैं बल्कि एसपी के मुस्लिम वोट बैंक में सेंध मारने की पूरी कोशिश की है। माना जा रहा बीएसपी की राह मुश्किल जरूर है पर वो लड़ाई से बिल्कुल बाहर नहीं है। गौरतलब है कि बीएसपी जीतने के लिए हर मुमकिन प्रयास करती नज़र आ रही है।

यूं तो बीएसपी ने काफ़ी समय पहले ही अपने कई प्रत्याशी घोषित कर दिए थे। मगर फिर जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव करीब आने लगा तो दिग्गज चेहरों की लालच मे अपने नेताओं के टिकटों मे काट छांट शुरू हो गई। कई प्रत्याशी तो ऐसे हैं जो आचार संहिता लागू होने के बाद बीएसपी की नैय्या पर सवार हुए और सवार होते ही उन्हें साहिल भी मिल गया।  एसपी सरकार मे मंत्री रहे नारद राय के बीएसपी मे शामिल होते ही बलिया सदर से घोषित प्रत्याशी रामजी गुप्ता का टिकट काट कर उन्हें देने का एलान कर दिया गया । वहीं बलिया के फेंफना सीट पर पहले से घोषित प्रत्याशी अभिराम सिंह का टिकट काट करके एसपी सरकार के पूर्व मंत्री अंबिका चौधरी को पार्टी मे शामिल होने के साथ ही टिकट दे दिया गया । यहां तक की बीएसपी ने मऊ, मोहम्मदाबाद और घोसी सीट से अपने घोषित प्रत्याशियों के टिकट काट करके मुख्तार अंसारी ( कौमी एकता दल के ) के परिवार के तीन लोगों को दे दिया। इसी प्रकार उरई सदर सीट से घोषित प्रत्याशी अजय पंकज का टिकट काटकर कांग्रेस से पार्टी मे शामिल हुए विजय चौधरी को दे दिया।

बात बीजेपी की करें तो नरेंद्र मोदी के नाम पर 2014 लोकसभा चुनाव में पार्टी ने राज्य के 80 लोकसभा सीटों में से 73 पर जीत हासिल की थी। हलांकि इस बार मोदी की वो लहर नज़र तो नहीं आ रही है। मगर इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि यूपी विधानसभा चुनाव मे मोदी के ही नाम पर बीजेपी को वोट पड़ रहे हैं। साफ तौर पर बीजेपी का मुख्यमंत्री पद के उम्मीद के नाम का खुलासा ना करने की एक ही वजह हो सकती है, जरूर बीजेपी की मोदी के नाम पर एक और दाव खेलने की रणनीति है।

माना कि मुख्यमंत्री पद के चेहरे की गैरमौजूदगी मे बीजेपी को नुकसान हो सकता है पर सूत्र यह भी कहते है इससे फायदे की भी अच्छी ख़ासी गुंजाईश है। पहले चरण के मतदान के समय ऐसा देखा गया कि बीजेपी को सबसे ज्यादा वोट मोदी के नाम पर ही पड़े हैं। शायद मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की मौजूदगी मे लोग तुलनात्मक हो जाते।

पहले दिल्ली फिर बिहार विधानसभा मे मिली शिकस्त, अब पंजाब विधानसभा में भी बीजेपी कुछ खास मजबूत स्थित मे नहीं है और गोआ मे कांटे की टक्कर है। बीजेपी के मद्देनज़र यूपी चुनाव उनके लिए करो या मरो की स्थिति है।

अंतिम समय में टिकटों का ऐलान करने के मामले मे काफी हद तक बीजेपी का भी हाल बसपा की तरह ही रहा। बाहरियों को दिल खोल कर टिकट बांटा और पार्टी के अपने प्रत्याशी हाथ मलते रह गए । पहले चरण के चुनाव से ठीक पहले बीजेपी से जुड़ने के साथ ही रानी पक्षालिका को आगरा के बाह सीट से टिकट दे दिया गया । इसी तरह जैसे ही बीएसपी के नेता नंदगोपाल नंदी ने भाजपा का दामन थामा उन्हें तुरंत पार्टी से टिकट मिल गया । यहां तक की हमेशा से बीजेपी के कट्टर विरोधी माने जाने वाले आर. के चौधरी के लिए पार्टी ने लखनऊ की मोहनलालगंज सीट छोड़ दी। बीजेपी ने वहां अपना प्रत्याशी उतारने के बजाए चौधरी को समर्थन देने का फैसला लिया है। बीजेपी ने अपनों को दरकिनार करते हुए बांगरमऊ से एसपी के नेता रह चुके कुलदीप सिंह सेंगर को टिकट दिया है।

एक तरफ जहां बीजेपी ने मुस्लिम प्रत्याशियों के प्रति कंजूसी दिखाई है वहीं अगड़ी और दलित जातियों के प्रत्याशियों को दिल खोल कर टिकट बांटे हैं। बीएसपी के पारंपरिक दलित वोट बैंक मे भाजपा की सेंध मारने की पूरी रणनीति है। अगर कुछ प्रतिशत दलितों को भी भाजपा रिझाने मे कामयाब हो जाती है तो बेशक उसकी राह आसान हो जाएगी । भाजपा की रणनीति जगउजागर है। साहब इसके बावजूद भी क्या लगता है आप विकास, सुरक्षा वगैरह-वगैरह शब्दों को लछ्छेदार भाषण मे सजा कर लोगों के सामने परोसोगे और लोग बिना शक किये चट कर जाएंगे? ये थोड़ा मुश्किल है।

भाजपा को यह नहीं भूलना चाहिए कि यूपी की जनता को ‘विकास’ और ‘ ध्रुवीकरण ‘ के बीच का फर्क पता है। अच्छे दिन के वादे के बाद तो लोग बीजेपी की ‘कथनी’ और ‘करनी ‘ मे फर्क कुछ ज्यादा ही अच्छी तरह से समझने लगे हैं । माना यूपी विधानसभा चुनाव मे नोटबंदी सबसे गरम मुद्दा है पर अब इसकी इतनी भी तारीफ मत करो की लोग शक करने पर मजबूर हो जाएं ।

इस बात पर कोई शक नहीं है कि सपा और कांग्रेस गठबंधन यूपी मे मौजूदा विधानसभा चुनाव की प्रबल दावेदार नज़र आ रहीं है । मगर एक कड़वा सच यह भी है कि एसपी की अपनी पार्टी मे आपसी तालमेल की कमी है । जगजाहिर है कि परिवार के बीच जो आपसी मनमुटाव का गड्ढा बन गया था उस पर मिट्टी तो जरूर पड़ गई है पर वह अभी भी भरा नहीं है । शुरुआत में सपा – कांग्रेस के गठबंधन का विरोध कर रहे मुलायम सिंह यादव अब तक चार बार अपना बयान बदल चुके हैं। कभी पानी पी-पी कर साईकिल को पंचर करने की जुगत मे रहने वाली कांग्रेस ने आज साईकिल का हैंडल थाम लिया है।

एसपी और कांग्रेस के बीच गठबंधन के बाद यह हुआ था कि दोनों मिलकर एक प्रत्याशी उतारेंगे। ऐसी बात हुई थी कि सीटें आपस मे बांट ली जाएगी पर अब कुछ और ही देखने को मिल रहा है। कई सीटें ऐसी हैं जहां कांग्रेसी और सपाई दोनो एक दूसरे के खिलाफ ताल ठोकते नज़र आ रहें हैं। मज़े की बात तो यह है कि दोनो ओर से प्रत्याशी पार्टी सिंबल होने का दावा भी कर रहें हैं। अमेठी सीट से एसपी सरकार के मंत्री गायत्री प्रजापति प्रत्याशी हैं लेकिन कांग्रेस की मंत्री अमिता सिंह भी चुनावी शंखनाद कर चुकी हैं। लखनऊ मे ही एसपी सरकार के मंत्री रहे रविदास मेहरोत्रा प्रत्याशी हैं और यहां कांग्रेस के मारूफ खान को प्रत्याशी बना कर मैदान मे उतार दिया गया है।ऐसे मे गठबंधन के बावज़ूद दोनों आपसी पार्टियां एक दूसरे के खिलाफ लड़ती नज़र आएंगी । कई जगह तो ऐसे भी हैं जहां कांग्रेस ने सपाई प्रत्याशी को अपने सिंबल पर चुनावी मैदान मे उतार दिया है।

एक अंग्रेजी कहावत याद आ रही है “ऐवरी थींग ईज फेयर इन लव एंड वार ” पर यूपी चुनाव के मद्देनजर अब इसमे थोड़ी तब्दिली की आवश्यकता है ” ऐवरी थींग ईज फेयर इन लव, वार एंड इलेक्शन।”

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