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शुक्रिया माँ, तुमने ‘अच्छी बेटी’ का कोई पैमाना नहीं तय किया

मम्मी, तुमसे कुछ कहना चाहती हूं, दरअसल तुम्हारा शुक्रिया अदा करना चाहती हूं। मुझे मेरे जैसा बनने देने के लिए। मां याद है मुझे , तुम बचपन में सिखाती थी कि किसी की तरह बनने की ज़रूरत नहीं है बेटा, तुम अपने जैसी बनो।

उस समय कुछ खास समझ नहीं आता था इस बात का मतलब, लेकिन अब समझती हूं कि ये कितनी बड़ी बात थी। ऐसे समाज में जहां व्यक्तित्व की मौलिकता को कुचलने के सारे इंतजा़म हैं, वहां तुमने मुझे खुद के लिये खड़े होने का पहला साहस दिया|

मैं हमेशा से थोड़ी दब्बू थी लेकिन आज जो साहस अपने अंदर पाती हूं वो तुम्हारी देन है। तुमने मेरी आज़ादी और खुशी को हमेशा पहले रखने की कोशिश की। ऐसा नहीं है कि मेरे चुनावों पर तुम्हारे मन में परम्परागत संघर्ष नहीं चले,या तुम डरी नहीं, लेकिन देखा है मैनें कि डरते हुए भी तुमने मेरी इच्छाओं और फैसलों का हमेशा साथ देने की हिम्मत की।

मुझे पता है मम्मी कि मेरे फैसलों में मेरा साथ देने का परिणाम तुम्हें झेलना पड़ता है। एक तरफ तो तुम खुद डरती हो कि कहीं मै अपना नुकसान न कर बैठूं और दूसरी तरफ और लोगों के इल्ज़ाम भी तुम्हारे ऊपर पड़ते हैं कि मन बढ़ा दो लड़की का, बाद में सर पकड़ कर रोना।

क्योंकि मैं भी अभी संघर्ष के दौर में हूं, तो कभी कभी मैं भी डर जाती हूं कि मैं सही कर रही हूं या नहीं। लेकिन जब तुम कहती हो कि कोई भी फैसला भविष्य में अच्छा या बुरा साबित हो सकता है, लेकिन मैं हर परिस्थिति में तुम्हारे साथ रहूंगी तो मैं बता नहीं सकती मम्मी कि मुझे कितनी हिम्मत और राहत मिलती है।

तुमने मेरे ऊपर इज्ज़त और विश्वास की कोई टोकरी नहीं लादी है। तुमने मुझे मेरी ज़िंदगी जीने का कोई नक्शा नहीं पकड़ाया है। मैं बता नहीं सकती कि तुम्हारा बेशर्त प्यार मेरे लिये कितना अनमोल है। अच्छी बेटी बनने का कोई पैमाना नहीं बांधा है तुमने मुझ पर। तुम तो मेरी हंसी और आत्मविश्वास देखकर ही खुश हो जाती हो।

मां के सहेली बन जाने के मुहावरे को तुमने सचमुच सच कर दिया है मम्मी। मुझे नहीं पता कि मैं कुछ कर पाऊंगी या नहीं। हां लेकिन हर कठिन परिस्थिति में खुद को संभाल लूंगी, क्योंकि मैं तुम्हारी बेटी हूं। और मुझे गर्व है कि मैं तुम्हारी बेटी हूं|

(बैनर इमेज- आभार फेसबुक)

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