पाकिस्तान वाले तो चले गए ना, फिर क्यों हंगामा मचा है? देशभक्ति या उन्माद से उपर कला या कलाकार नहीं होता ये बात तो पाकिस्तानी एक्टर्स को वापस भेज के भी साबित हो चुका था। और अभी दो दिन पहले ही पाकिस्तानी कलाकारों को वापस भेजे जाने का समर्थन भी किया था नवाज़ ने फिर नवाज़ को मारीच का रोल करने से रोककर हमने क्या साबित किया? यही कि देश या देशभक्ति से उपर हमारे यहा राजनीतिक धर्म होता है? नवाज़ जब न्यूयॉर्क फिल्म में अमेरिका में मुसलमानोंं पर होने वाले टॉर्चर की बात करते हैं तो हम सब एक सुर में ताली पीटते हैं लेकिन अब क्यों खामोश हैं हम और हमारा प्राईम टाईम। शिवसेना की ओर से किये गये हल्लमगुल्ले के उपर चुप्पी क्या एक बहुत बड़े वर्ग की पूर्वाग्रह तो नहीं है जो सामने आ चुकी है? नवाज़ बड़े एक्साइटेड थे अपने गांव के रामलीला में मारीच का रोल करने के लिए और अब वो बड़ी सहज़ता से इस पूरे मुद्दे को अपने बचपन के सपने को टूटना कहकर, प्रैक्टिस का एक वीडयो डालते हैं और खामोश हो जाते हैं। शायद इसलिए कि अगर वो अपनी बात रखेंगे तो कहीं से देशभक्ती का सर्टिफिकेट भी लाना पड़ेगा जिसकी मांग बाद में उठेगी। नवाज़उद्दीन तो फिर भी मारीच का रोल कर रहे थे गलती से गर राम का रोल कर रहे होते तो जाने क्या होता? एक मिनट रुक कर सोचिएगा ज़रूर की हम कहां जा रहे हैं। नवाज़उद्दीन सिद्दीकी ने अपने प्रैक्टिस का वीडियो डाला है, देखते जाइए।