दिनभर काम करके, थककर, बिलकुल चैन से सोने के लिए आराम करने के लिए कहां जाएंगे आप? अपने घर ही तो जाएंगे, अब सोचिए ज़रा कि आपको आपके घर ना जाने दिया जाए, कैसा लगेगा, ज़िद्द ठान लेंगे ना एकदम घर जाने की? तो साहेबान सर से झड़ते बाल, बिस्किट खाने के बाद खाली रैपर, चाय-कॉफी पीने के बाद ग्लास, उनका भी अपना घर है यार, घर छोड़ आओ ना प्लीज़ उनको भी, ऐसे बीच रास्ते किसी को उतारना अच्छा लगता है क्या? देखिए ना कूड़े का भी घर होता है, ऐसे बेघर मत करिए उसको। मनीष शर्मा की ये फिल्म देखिए, कैसे कूड़ो ने सड़क पर फैलने के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।