बिहार, जहाँ के छात्र लाल बत्ती के सपने से अपनी सुबह शुरू करते हैं, आज वो सामूहिक आत्मदाह की धमकी दे रहे हैं। छात्रों का आरोप है कि, सरकार के अड़ियल रवैये से तंग आकर उन्होंने लाल बत्ती के सपने को आग की लौ तक पहुंचा दिया है। आत्मदाह करना गलत है, और मैं व्यक्तिगत तौर पर इसका समर्थन नहीं करता, फिर भी कारण ढूंढना मेरा काम है। जब कोई छात्र लाइब्रेरी छोड़, अपनी किताबें रख, सड़क पर उतरता है तो आप मान लीजिए कि आपका देश आगे नहीं बढ़ रहा है। छात्र सिर्फ अपने भविष्य को नहीं बनाते बल्कि अपने साथ-साथ देश का भी भविष्य बनाते हैं। इसलिए तो दुनिया, छात्रों को ही देश का भविष्य मानती है। [envoke_twitter_link]जब छात्र आंदोलित हों तो आप मानिये कि देश में सरकार नैतिक मूल्यों पर खरी नहीं उतर रही है।[/envoke_twitter_link] क्यूंकि छात्रों के लिए सबसे अहम चोट, नैतिक और तार्किक मूल्यों पर होने वाली चोट होती है।
देश के तमाम छात्र आज कहीं न कहीं डरे हुए से लगते हैं। डरे हुए इसीलिए भी हैं, क्यूंकि इन्ही के भविष्य के साथ इस देश का भी भविष्य जुड़ा हुआ होता है। तो क्या कोई सरकार छात्रों के हित की अनदेखी कर देश-हित की अनदेखी नहीं कर रही होती है? बिहार प्राचीन काल से ही आंदोलन की धरती रहा है, बुद्ध, महावीर ने सामाजिक आंदोलन किया। तो आर्यभट्ट, वराहमिहिर ने वैज्ञानिक आंदोलन, आगे की कड़ी में बिरसा से लेकर सिद्धू कान्हु तक ने अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए। यह बिहार है, जहाँ छात्रों ने देश का झंडा फहराने के लिए अपनी जान दे थी। इतना ही क्यों जे.पी. आंदोलन को कौन भूल सकता है? छात्रों द्वारा शुरू किए गए इस आंदोलन ने तो देश में तख्ता पलट ही कर दिया था।
असल में बिहार के ही एक छात्र को, जब बिहार में पैदा होने को गलती कहते हुए सुना तो परेशान सा हो गया। छात्र जब दर्द में होते हैं तो उस राष्ट्र का भविष्य भी दर्द भरा ही होता है। असल में बिहार लोक सेवा आयोग की मुख्य परीक्षा का आयोजन 8 जुलाई से 30 जुलाई तक होना है, बिहार से लेकर दिल्ली तक छात्रों मे रोष है। परीक्षार्थी, परीक्षा की तिथि को आगे बढ़ाने को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। उनका मानना है कि, 7 अगस्त को लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा है। इन दोनों परीक्षाओं का पेटर्न अलग-अलग है और छात्र बहुत मुश्किल में फंसे हुए हैं। दोनों ही परीक्षा के लिए, छात्रो का समूह लगभग एक ही होता है, जो लोग लोक सेवा की तैयारी करते हैं, वही छात्र राज्य लोक सेवा की भी तैयारी करते हैं।
बहरहाल ये आप सभी जानते ही हैं कि बिहार राज्य लोक सेवा आयोग काफ़ी लेट लतीफ है। कई सारी परीक्षााएँ इस दौरान होंगी, जिसकी तिथियाँ पहले से जारी रहती हैं। छात्र सड़क पर हैं, और उन्होंने कई महीनों से आंदोलन कर रखा है। फिर भी आयोग नें महीनों की आँख मिचौली के बाद भी तिथि नही बढ़ायी है, और साफ-साफ कह दिया है कि परीक्षा को बाधित करने वालों को जेल मे डाल दिया जाएगा। क्या हम सरकार सिर्फ इसलिए चुनते हैं कि वो हमें जेल में डालती रहे। आंदोलन के दौरान भी छात्र जेल गये, सरकारी लाठी खाई। छात्रों ने आज राष्ट्रीय न्यूज़ चॅनेल पर आत्मदाह की धमकी भी दे डाली।
मुझे किसी मित्र ने वीडियो भेजा था देखने के लिए, अन्यथा मैं टीवी नही देखता। आत्मदाह की बात सुनकर मैं सन्न सा रह गया। बिहार के जीवट छात्र आत्मदाह करेंगे? मुझे चाणक्य याद आ रहे थे जब उन्होने चंद्रगुप्त से कहा था, की तुम अपना रथ रोक देना, जब कोई छात्र रास्ता पार कर रहा हो। आज उसी धरती पर छात्र जलेंगे, और ये अनर्थ हमारे चहेते मुख्यमंत्री के सामने होगा। चाणक्य नें ही कहा था कि, ‘जिस समाज में शिक्षक, छात्र एवं बुद्धिजीवियों का सम्मान होना ख़त्म हो जाए, वो समाज ख़त्म हो जाता है।’ तो क्या हम ख़त्म हो रहे हैं? या फिर हम ख़त्म हो चुके हैं। शायद सरकार उन्हें आत्मदाह करने से रोक भी ले, लेकिन क्या आप उनके अंदर की भड़की आग को रोक पाएँगे। मुझे नही पता कि इसका परिणाम क्या होगा? लेकिन अगर कोई निर्णय छात्र हित में नहीं, तो तय मानिये कि वो देश हित में कतई नहीं हो सकता।
छात्र बिहार राज्य के ही हैं, बिहार के भावी भविष्य हैं फिर उनके साथ ऐसा व्यवहार क्यों? आप सभी छात्रों से अनुरोध है कि आप आत्मदाह का ख़याल ना लाएं। आपमें तख्त पलटने की ताक़त होती है, और आपको याद होगा लोहिया ने कहा था कि ‘जिंदा क़ौम काफी देर तक समय का इंतज़ार नही करती।’ जो सरकार, छात्र की महत्ता ना समझे, आप मानिये कि उनका भविष्य तो कम से कम अच्छा नहीं है। जब छात्र जलते हैं या आत्मदाह करते हैं तो सिर्फ शरीर नहीं जलता बल्कि पूरा राज्य जलता है। आप बिहार के लोग जब छात्रों के जले शरीर देखेंगे तो उसमे आपको अपना राज्य जला हुआ दिखेगा। एकदम वीभत्स स्वरूप। खून से लथपथ लाशों को देखेंगे तो उसमे आपको अपना बिहार लहू-लुहान दिखेगा।
बी.पी.एस.सी. (बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन) बड़ी बात नहीं, बिहार बड़ी बात है! सत्ता संभाल कर रखिए अन्यथा बिहार की धरती आंदोलन के रंग से रंगी हुई है। प्राचीन समय से लेकर आज तक बिहार ने भारत को रास्ता दिखाया है। कोई भी सरकार छात्रों को मजबूर ना समझे, इनका जीवन ही संघर्षों पर आधारित होता है। ये पढ़ भी लेंगे और लड़ भी लेंगे। बाकी देश हाल ही में छात्रों और शिक्षकों का आंदोलन, केंद्र सरकार के खिलाफ देख ही चुका है। इन्हे रोक लीजिए कुछ अनर्थ करने से, इनकी बात मान लीजये। आप सब ने भी छात्र जीवन जिया है, संघर्ष किया है, आपने भी तो घमण्ड में चूर सत्ता को जड़ से उखाड़ फेंका था। मिलना चाहिए, बात करनी चाहिए क्या पता छात्रों का तर्क आपको भा जाये। छात्र आपके दुलारे हैं, आपकी वजह से ही, वापस भी आपके पास, आपके साथ राज्य की तरक्की में भागीदार बनना चाहते हैं। मिलकर ही तो आगे बढ़ पाएगा बिहार।