By Sagar Vishnoi:
à¤à¤²à¥‡ ही नाशà¥à¤¤à¥‡ में आलू-पà¥à¤¯à¤¾à¤œ-गोà¤à¥€ के परांठे पसंद हो, लेकिन लंच में अगर खाना न मिले तो बात नहीं बनती. अरे, फल-सबà¥à¤œà¥€ या GM डाइट से पेट थोड़े ही à¤à¤°à¤¤à¤¾ है. आज à¤à¤¸à¥‡ ही कà¥à¤› अलग तरीके का खाना चखा. वैसे लंच अकेले ही होता है, लेकिन आज का सà¥à¤µà¤¾à¤¦ कà¤à¥€ न à¤à¥‚लने वाला था.
चार डिबà¥à¤¬à¥‡ थे, लेकिन शà¥à¤°à¥‚ करते हैं पहले डिबà¥à¤¬à¥‡ से, दाल थी कोई, कहीं कहीं इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ इरà¥à¤°à¥à¤«à¤¾à¤¨ खान नाम से चखा हैं, लेकिन इतनी अचà¥à¤›à¥€ तरह नहीं. वैसे तो ये शहरी और कसà¥à¤¬à¥‹à¤‚, दोनों तरह के लोगों को ही पसंद आती है, लेकिन शायद जो उनका अà¤à¤¿à¤¨à¤¯ का तड़का है, बाकी सà¤à¥€ कलाकारों से à¤à¤• कड़ी आगे. चाहे संवाद अदाà¤à¤—ी का पकà¥à¤•à¤¾à¤ªà¤¨ हो या सीधे मà¥à¤¹ से हà¤à¤¸à¤¾à¤¨à¤¾, सà¤à¥€ सà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤°.
दूसरा डिबà¥à¤¬à¤¾ था निमरत  कौर (जी हाठवही लड़की जो कैडबरी सिलà¥à¤• के AD में कार में बैठी चॉकलेट खा रही है), सबà¥à¤œà¥€ जितनी देखने में आकरà¥à¤·à¤• थी उतनी ही सà¥à¤µà¤¾à¤¦ में, कà¥à¤¯à¤¾ अदाà¤à¤—ी की है. à¤à¤¸à¥‡ चरितà¥à¤° आज के शहरी जीवन में सामानà¥à¤¯ हैं लेकिन निमरत ने असामानà¥à¤¯ जिया इसे.
तीसरे डिबà¥à¤¬à¥‡ में कहानी, डायरेकà¥à¤¶à¤¨ नामक रोटी थी. à¤à¤•à¤¦à¤® गोल, परफेकà¥à¤¶à¤¨ के घी से चà¥à¤ªà¤¡à¤¼à¥€ हà¥à¤ˆ और à¤à¤• पतली पà¥à¤²à¤¾à¤¸à¥à¤Ÿà¤¿à¤• की पैकेट में नवà¥à¤œà¤¼à¥à¤¦à¥à¤¦à¥€à¤¨ नà¥à¤®à¤¾ अचार. कहते हैं खाने में देसीपन का सà¥à¤µà¤¾à¤¦ अचार ही लाता है, नवाज़à¥à¤¦à¥à¤¦à¥€à¤¨ का पेशेवराना अंदाज़ दिखता है और पूरी कहानी को चाटाकेदार à¤à¥€ बनाता है (की कहीं à¤à¥€ नमक कम लगे, सà¥à¤µà¤¾à¤¦ लेने के लिठअचार लीजिये). आखिरी डिबà¥à¤¬à¥‡ में à¤à¤• अनाम चीज़ à¤à¥€ थी, उसका अंत, जिसे अगर आप खà¥à¤¦ चखकर देखेंगे तो मज़ा आà¤à¤—ा.
कà¤à¥€ कà¤à¥€ लगता है की शहरों में हम अकेले हैं, बस उसी अकेलेपन में पà¥à¤¯à¤¾à¤° की à¤à¥‚ख की कहानी है ये. डिबà¥à¤¬à¤¾à¤µà¤¾à¤²à¤¾ की छोटी सी कहानी हो, संवाद या निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¤¨, फिलà¥à¤® जितना हà¤à¤¸à¤¾à¤¤à¥€ है उतना ही आप से à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• रूप से जà¥à¤¡à¤¼à¤¤à¥€ है. चाहे वो हमारा सनà¥à¤¡à¥‡ को लैपटॉप की मूवीज देखते हà¥à¤ बोरियत हो, टà¥à¤°à¥‡à¤¨ या बस में किसी अनजान से बातचीत शà¥à¤°à¥‚ करना या अपना whatsapp, फेसबà¥à¤• चेक करते रहना, बोर होते हà¥à¤ फेसबà¥à¤• चाट पे पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ दोसà¥à¤¤ या अनजान दोसà¥à¤¤ को Hi,wassup? या कैसा है लिखना हो, शहरी जीवन में हम मौके तलाश रहे हैं, अपने अकेलेपन को दूर करने के लिà¤, कà¥à¤› टाइमपास करने और कà¥à¤› नठरिशà¥à¤¤à¥‡ बनाने के लिà¤.
कà¤à¥€ ऑफिस या कॉलेज में अकेले खाना खाना पड़ जाये, कैसा लगता है? और अगर आप घर से दूर हैं तो अपनी माठसे पूछे à¤à¤• बार, वो फीकापन. वहीठअगर à¤à¤• परिवार, साथी मिल जाये खाने के साथ या साथ देने को, तो à¤à¤¾à¤µ अपने आप ही निकलते हैं खाने की टेबल पे, हैना? ख़ैर ये lunchbox बहà¥à¤¤ ख़ास लगा , ऑसà¥à¤•à¤° मिलेगा, पता नहीं, लेकिन आप चाखियेगा ज़रूर. zomato से रिवà¥à¤¯à¥ लेने की ज़रà¥à¤°à¤¤ नही, अब तो करन जौहर ने à¤à¥€ पैसे लगा दिठहैं. वैसे,जो तेज़ गति से खाते हैं, वो बचें, इसे आराम से चखिà¤.