- देविका मितà¥à¤¤à¤²Â :
कितने राजा आà¤Â ,
कितने शेहेनशाह गà¥à¤œà¤¼à¤°à¥‡,
पर वह वही रहा |
किले फ़तेह कर लिठजाà¤Â ,
या बनवा लिये जाठताज कई,
मरता वह ही है
वह जिससे पूछा à¤à¥€ नहीं जाता की वह  किसकी तरफ है,
मरता  वह ही  है |
किले  फ़तेह करने में , ताज  बनाने  में,
और मेहेंगाई में  à¤à¥€,
मरता वह ही है |
गलती कोई à¤à¥€ करे
पर हरज़ाना उसकी पूरी कौम को à¤à¤°à¤¨à¤¾ पड़ता है
पर उसमे à¤à¥€ à¤à¤°à¤¤à¤¾ वह ही है…
वह जिसका इन बातों से कोई लेना-देना ही नहीं,
वह जिसे सिरà¥à¤« अपनी रोज़ी-रोटी की चिंता होती है,
मरता वो ही है, सिरà¥à¤« वो ही |
मरता वो ही है,
और उसके निशान रेत पे बनते हैं ,
फिर लहरों के साथ चले जाते हैं…
समापà¥à¤¤: इस उमà¥à¤®à¥€à¤¦ के साथ की कà¤à¥€ शायद उसे à¤à¥€ ज़िनà¥à¤¦à¤—ी मिले |Â